आपणा पर विश्वने फिदा करी दईऐ
चाल,जल पर ऐक-बे लीटा करी दईऐ
तर्क केवल तर्क छे सूरज नथी,मित्रो
तर्कना त्रांसा किरण सीधा करी दईऐ
आपणा शब्दो अहल्या जेम जीवे छे
चाल,शापी शब्दने शिला करी दईऐ
रातमां जन्मे अने उछरे नहीं दिवसे
स्वप्न छे ऐ स्वप्न छोभिला करी दईऐ
काफलाने पहोंचवुं छे हलदीघाटीमां
ऊर्फे मनना अश्व वेगीला करी दईऐ
भरत भट्ट
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