Friday, 1 September 2017

ગઝલ

🌷🌷🌷ग़ज़ल🌷🌷🌷

यही सिलसिला रोज़ चलता  रहेगा।
तेरा  ख्वाब आँखों में पलता रहेगा।

ज़माने  के  ग़म चाहे जितना सतायें
तुझे  देख  दिल  ये  बहलता  रहेगा।

चले लाख नफ़रत की आँधी जहां में
शजर प्यार का पर ये फलता रहेगा।

रहेंगे फ़लक पर सितारे ये जब तक
दिया भी मुहब्बत का जलता रहेगा।

रुका किसकी की ख़ातिर यहाँ वक्त यारो
बदलता  समय  है  बदलता   रहेगा।

चलेगा जो  सच की यहाँ राह यारो
नज़र में जहां की वो खलता रहेगा।

समझ कर समय को चला कर नहीं तो
यूँ  हीं  रातदिन  हाथ  मलता  रहेगा।

जो है मतलबी आस उससे न रखिए
बचा कर वो दामन निकलता  रहेगा।

रहो जलते  भुनते  यूँ हीं दुश्मनों तुम
ये सिक्का हमारा तो चलता रहेगा।

मयस्सर न होगी  ख़ुशी तुझको *हीरा*
अगर दिल ही दिल में उबलता रहेगा।

                    हीरालाल

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