Thursday 29 September 2016

દશાવતાર

.      [ दशावतार वंदना ]
           छंद - छप्पय
      रचना - चमन गज्जर

प्रथम माछली रूप, और तन कच्छप धार्यो,
तृतिय भुंड तन धरी, चतुर नरसंग पधार्यो,
पंच ईन्द्र रो भ्रात, षष्ट परशुधर कोप्यो,
सप्त राम अठ कृष्ण, कोप पद मथुरा रोप्यो,
नवम वखत साकेत मांहे, बुद्ध रूप आपी बण्या,
कल्की पधारो कलीयुग पाप थी कमठ शेष बौ कणकण्या.

        ( मत्स्य अवतार )
सत्य व्रत्त मनुराज, काज उत्तम ईह करतो,
धरम काज दिल धगश, नित्य नाराण समरतो,
अयो थो परलय काळ, भाळ हरी लेन पधार्यो,
बात कही समुजाय, आप जेही निर्णय धार्यो,
नाव बनावी राजवी, जळ मांहे तरती करी,
मन 'चमन' ज्ञान पुरान को, दीयो रूप मत्सय धरी.

         ( कमठ अवतार )
मथन दधी को करन, देव दानव मीली आया,
कीयो वासुकी नेत, मंदर का कीया रवाया,
पूंछ पकरीयो देव, मुख दैताण पकरीयो,
मथन कीयो शरूआत, धसी परबत जल परीयो,
देव दईत मुंझाई ग्या, ताको न कछु कल पर्त है,
मन 'चमन' हरी परबत धरन, कमठ रूप तब धर्त है.

         ( वराह अवतार )
हिरणाक्ष दैत बलवान, धरा जल मांह डुबावै,
करी घोर अटहास, अहर ब्रह्मांड कंपावे,
करे विनंती देव, वार किरतार करीज्जै,
धर्म धरा अब राख, दंड दुष्टन कुं दीज्जै,
प्रगट भयो परमेहरा, कोप दैत पर तुं करी,
हिरणाक्ष मार धर लावीयो, हरी देह वाराह धरी.

       ( नरसिंह अवतार )
एक समे अविनास, भार धर पाप वधी ग्यो,
जोग जग्य पण गया, सनातन धर्म तजी ग्यो,
कनक शिपु विकराल, काल बन धरा कंपावी,
पुत्र परे परहार, कीयो तम लीयो बचावी,
पोकार धार प्रहलाद रो, थंभ फार ततकार है,
नरसंग रूप लई निसर्यो, हरी हर्यो भु भार है.

        ( वामन अवतार )
वीर वीरोचन पूत, बली दातार शिरोमन,
दया वान दिल दार, भाव हरी भक्ती भयो मन,
देव असुर संगराम, हुवो मह परलय कारी,
जित्यो तिनहुं लोक, महाभड प्राक्रम भारी,
डोल्य पाट सरगा परी, देव राज मन डर्त है,
मन 'चमन' छलन बली राजकुं, रूप वामणो धर्त है.

      ( परशुराम अवतार )
नृप तजी गे ध्रम, क्रम अवळां बहु करीया,
रीत नीत पण तजी, पाप पंथे विचरीया,
हाथ हजारां नाथ, नाम अरजण भट भारी,
कामधेनु लै छीन्न, पितु तव नांख्यो मारी,
तपियो भ्रामण तनय तुं, भडक्या सरवे भूप है,
ईला नखतरी तें करी, परशुराम धरी रूप है.

           ( राम अवतार )
अहर कीयो बौ कहर, महर उण दीन ते कीध्धी,
त्याग सुख महेलान, रान केडी तें लीध्धी,
मुनी मख रक्षा करन, धरन हथ धनख लीधो,
ईन्दर जीत कुंभ कन्न, रन्न रावण वध कीधो,
दैत संघार्या दैव तें, चौद बरस बनमें फर्यो,
मन 'चमन' धर्म धर राखीयो, राम रूप धारण कर्यो.

        ( कृष्ण अवतार )
रीत तजी ग्या राज, बाज बन जपटुं करता,
अंत्र धार अंहकार, धर्म दल लेश न धरता,
भारी बाढ्यो भुह भार, पापरो पार न आवे,
कुरू खेत्र करतार, मावो जुध महा मचावे,
धर्म काज नर तन धरी, सेन अहर संघारीया,
धन्य धन्य धरणीधरा, हरी भार भु हर्रीया.

        ( बुद्ध अवतार )
कळजग करणी कुड, कुण ताकी गत जाणे,
वेद धरम नो त्याग, पंथ अवळा बौ ताणे,
परजा करती पाप, करम अकरम करी मंडे,
जती छंडीया जोग, छत्री निज धर्मकुं छंडे,
अंध कार अळ उपरे, वधीयो पारा वार है,
घर्म वेद राखन धरा, बुद्ध लीयो अवतार है.

        ( कल्की अवतार )
कली काल किरतार, आप आधार जगत को,
टाळ बाळ अवरोध, पार करी तार भगत को,
वध्यो छे आतक वाद, जगत बरबाद करंता,
रंक तणी फरीयाद , राव नह कान धरंता,
पोकार सुणी परजा तणो, दुष्ट नाश रण में करो,
मन 'चमन' हरी ईण वार तो, रूप कल्की धारण करो.

[ चमन गज्जर कृत ]

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