Tuesday, 11 April 2017

ગઝલ

साझ कोना छे ताल कोना छे
राग   रंगे   खयाल  कोना  छे

आंख कोना स्मरणथी भिंजाई
आ फरकतां रुमाल कोना छे

कोई उत्तर दई नथी शकतुं
आ त्रिभेटे सवाल कोना छे

हुं समयना समुद्र मध्ये छुं
द्विप मध्ये प्रवाल कोना छे

कोण भीतर करे छे आंदोलन
सूत्र, मूर्ति, मशाल  कोना  छे

              - भरत भट्ट

No comments:

Post a Comment