Friday 12 January 2018

ગઝલ

हमें  छोड़ने का बहाना रहा,
हमीपे उन्हीं का निशाना रहा।

निगाहें मिलाके जुकाली गइ,
अधुरा अधुरा  फसाना  रहा।

हमेंअपनी यादों मेंखींचा किये,
मगर फासला दरमीयाना रहा।

फंसे रह गये हैं कफस की तरहा,
असीरी सा ये तिल मिलाना रहा।

नहीं जा  सके  वो  हमें छोड़कर,
खयालों की दुनिया बसाना रहा।

चलो आज मासूम बसें जा कहीं,
यहां अपना दुश्मन जमाना रहा।

              मासूम मोडासवी

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