धूलनी वच्चे धकेले छे मने
तुं लखोटी जेम खेले छे मने
आपणे बे ऐकबीजानी भीतर
हुं तने ट्हेलुं तुं ट्हेले छे मन
मारी नसनसमां वहेती हे,नदी
तुं क्षणेक्षण रसथी रेले छे मने
पंडितो पेली तरफ वांचे तने
आ तरफ तुं के उकेले छे मने
हुं तने भणवानुं भूली जाउं तो
ठोठ समजी केम ठेले छे मने ?
भरत भट्ट
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