Wednesday, 30 November 2016

ગઝલ

तेरी प्यारी सुरतके पास सूरज,चाँद श्याम लगता है,
तुहि है श्वेत सुंदरी त्रिलोक में मुखड़ा कहता है,

दिल चाहता है तुजसे महोब्बत करलु,
जरा अहेशान करदो तो सफर सुहाना लगता है,

बहारो में फूल बरसावू मेरा महेबुबके लिए,
अतर का चमन बनाऊ तो हवामे खुशबु लगती है,

साथी बनके आजाओ तो हमसफ़र बन जाये,
अखियोंके आँगनमे कोयलका टहुका लगता है,

कोरा कागज जैसा मेरा दिलमे हस्ताक्षर करदो,
"अज़ीज़" डाफलीवाले के दिलमे घुंघरू बजती है,

भाटी एन "अज़ीज़"

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