मोरलो खभ्भा उपर ने मन ऊडे
खीस्सुं फाटी जाय त्यांथी धन ऊडे
पांख फूटी जाय त्यारे चोतरफ
सिंह पाडे त्राड त्यांतो वन ऊडे
बाजुंथी नीकल्यां तमे अडवा पगे
मेज पर झांझर तरत छनछन ऊडे
तारुं जोबन वृक्षमां बेसी गयुं
बेसवा त्यां मारूं पण यौवन ऊडे
हुं लखुं ज्यारे गझल ऐकीटशे
मुठ्ठीमां आत्मा रहे ने तन ऊडे
--- धर्मेश उनागर
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