के झलक जीवननी तख्तामां मले छे
प्रेक्षको सामेना वक्तामां मले छे
मोंघी दाट अफवा, जूठनां छे भावो
सत्य पण हकिकत सस्तामां मले छे
जेम मरजीवाने मोती तलमां मलतुं
तेज पण गजलनुं मक्तामां मले छे
घर सुधी जवानी एक ईच्छा मारी
तारुं पण छे केवुं, रस्तामां मले छे
क्यांक तो महेलमां पत्ताथी रमे छे
क्यांख तो महेल पण पत्तामां मले छे
--- धर्मेश उनागर
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