उस जेसा कर जाने को जी करता है,
वादो से मुकर जाने को जी करता है।
ईन खलिलो से उपटा हुं युं में के,मुझको-
अब दुश्मन के घर जाने को जी करता है।
बहुत अजीब है मेरा दिलका हाल अभी तो,
खुश हुं पर मर जाने को जी करता है।
कोन बचाये उस कस्ति को जब नाखुदा-
पानी में उतर जानेको जी करता हैं।
मां आयेगी आचल में लेलेगी पागल
ईस लीये ही डर जाने को जी करता हैं।
विरल देसाई"पागल"
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