Monday 30 January 2017

ગઝલ

गज़ल

दुसरो के लिए खुद भी कभी जलना पडता है |
हसाने के लिये सबको, हमे ही रोना पडता है |

दूर हो जाये अगर सब साथ चलते राहगुजर,
अकेले है  तो अकेले  ही हमें  बस चलना पडता है |

वैसे ते सब चाहते है एक-दूजे को,
है चाहत दिलमें तो उसे  दिखाना पडता है |

नये फूल पत्तियॉ वसंत के पाना है उसे तो,
हरबार पतझरमें  उसे भी झरना पडता है |

पाना है अगर आँसमा के चाँद सितारे को,
हारे बिना 'नसीब' को आजमाना पडता है|

देवीदास अग्रावत 'नसीब'

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