Monday, 27 February 2017

ગઝલ

गझ़ल

अश्वो उपर कशो य ते आधार पण नथी
दोड्या करे छे ऐमज असवार पण नथी

अजवास होय तो  तो  निहाली  शकुं  तने
अणजाण कही शकुं तेवो अंधार पण नथी

जाणुं छुं पथ्थरोमां प्रगट प्राण थाय छे
मारी पीडामां ऐवो य पोकार पण नथी

माराथी   मारुं   युद्ध   अविरत  थतुं   रहे
अचरज छे ऐमां ढाल के तलवार पण नथी

तूटक बधां प्रसंग  गझ़लमां  कही दीधां
मारी कथामां अन्य बीजो सार पण नथी

           .. . ..भरत भट्ट

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