खरी बात का जो निभाना हुवा,
उन्हें रुठने का बहाना हुवा ।
बनाये गये हम फीर अजनबी,
हमें आज ऐसा सताना हुवा ।
वफा भी खता उनको लगने लगे,
हमारा बुरा दिल लगाना हुवा ।
उन्हें चाह कर हम नहीं पा सके,
कदम दर कदम डगमगाना हुवा ।
बसाने की खुदको तमन्ना रही ,
अधुरा इस कदर दोस्ताना रहा ।
बदलते खयालों ने बदला चलन
नया आज अपना फसाना हुवा ।
जफा उसने मासूम नहीं की कभी
उसे जानते इक जमाना हुवा ।
मासूम मोडासवी
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