कलम जब हमारे फ़साने लिखेगी,
हज़ारों तरह की किताबें छपेंगी ।
खुशी, रंज, रंगीन बातें मिलाकर,
मधुर और नमकिन कहानी बनेगी ।
यहाँ शायराना महफिल सजी है
सजी ही रहेगी , कभी ना मिटेगी ।
खबर जब मिलेगी तेरे आगमन की,
सभी उलझनों की चिताएं जलेंगी ।
छुपाकर जहां से कहाँ तक फिरोगे,
सही बात आखिर बतानी पड़ेगी ।
खुदा तय करे, ' पुष्प ' खिलना, बिखरना,
उसी के मुताबिक हवाएं चलेंगी ।
--- पबु गढवी ' पुष्प '
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