कैसा उनका रहा सामना क्या करे,
दो कदम का रहा फासला क्या करे।
जिंदगी के नये ख्वाब बुनते रहे,
जैसा चाहा वोही ना बना क्या करे।
वो करीब आये ओर बात होना सकी,
कुछ अधुरा रहा चाहना क्या करे।
जीनकी खातीर उठाये हजारो सितम,
वोही रुठा रहा मेरा आशना क्या करे।
चाह घटती रही आश बढती रही,
खुदको मासूम पडा थामना क्या करे।
मासूम मोडासवी
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