यूँही तुम मेरे साथ साथ चलना,
रात ढलते ही सपनोंमें आके मिलना,
यूँ ही तुम मेरे साथ साथ चलना ।
तुम्ही गीत मेरा, तुम्ही संगीत मेरा,
तुम्हें क्या खबर है, तुम्ही मनमीत मेरा।
फूलों की तरह तुम हरदम हँसना,
यूँ ही तुम मेरे साथ साथ चलना ।
तुम्ही हो उमंग, तुम्ही मेरी चाह हो,
तुम्ही मेरी मंज़िल, तुम्ही मेरी राह हो ।
न ज़माने से डरना,'जल'मेरे दीलमे रहना,
यूँ ही तुम मेरे साथ साथ चलना ।
आओ हम एक होने की कसम खाए,
प्रेम की डोरी से हम साथ बंध जाए।
तुम मिलके,ना कभी अलविदा कहना,
यूँ ही तुम मेरे साथ साथ चलना ।
कवि जलरुप
मोरबी
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