Sunday 19 April 2020

ગીત

यूँही तुम मेरे  साथ साथ  चलना,
      रात ढलते ही सपनोंमें आके मिलना,
यूँ ही तुम मेरे  साथ साथ  चलना ।

तुम्ही  गीत मेरा,  तुम्ही  संगीत मेरा,
तुम्हें क्या खबर है, तुम्ही मनमीत मेरा।
फूलों की  तरह  तुम  हरदम  हँसना,
यूँ  ही तुम  मेरे  साथ साथ  चलना ।

तुम्ही  हो  उमंग,  तुम्ही  मेरी  चाह हो,
तुम्ही मेरी  मंज़िल, तुम्ही मेरी राह  हो ।
न ज़माने से डरना,'जल'मेरे दीलमे रहना,
यूँ  ही तुम  मेरे  साथ  साथ  चलना ।

आओ हम एक होने की कसम खाए,
प्रेम की  डोरी से  हम  साथ  बंध जाए।
तुम मिलके,ना कभी अलविदा कहना,
यूँ  ही   तुम  मेरे  साथ  साथ चलना ।

कवि जलरुप
मोरबी

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