Wednesday, 30 November 2016

ગઝલ

जीतवानी  बाजीने  हारी  लीधी
में जरा समजणने विस्तारी लीधी

शून्यथी ते पूर्ण लग कल्पी तने
ऐ  बधा  संदर्भे  विचारी  लीधी

ऐ तरफ तें आग धगधगती करी
आ तरफ धूणीने में ठारी लीधी

आव,तुं पण आव उत्सवमां हवे
में बधी  पीडाने शणगारी लीधी

अंधकारे  पण  उजासे  तुं   हती
क्षणने सांगोपांग सत्कारी लीधी

            भरत भट्ट

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