हजी ऐक ईच्छा वछूटे नहीं
हुं दोडुं अने मार्ग खूटे नहीं
युगोथी बधां तोय मथतां रह्यां
समय तांतणा जेम तूटे नहीं
हजी ठेरनी ठेर यात्रा रही
पलाणो छतां अश्व छूटे नहीं
पलीतो मूको छो फरीथी तमे
मजा ऐ छे के तोप फूटे नहीं
शिखर पर रही क्यां हवे धारणा
के मस्तक हवे कोई कूटे नहीं
भरत भट्ट
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