गझ़ल
पाणी बहार आवी ने पगलां भर्या करो
रेतीमां कोई नाम हवे चितर्या करो
आंखोनी आरपार जवाशे नहीं कदी
आकाश सामे जोई अने विस्तर्या करो
तमने तमे मली न शको ऐवुं थाय तो
तमने तमे ज खुद हवे आंतर्या करो
भरपूर थई जवाशे तो आनंद आवशे
खालीपो रोज रोज छलोछल कर्या करो
बारे य वहाण आम डूबेला ज होय छे
जो खुदमां होय हाम हलेसे तर्या करो
भरत भट्ट
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