सुनके तुम्हारे नाम के चर्चे जहान मे,
अब क्या बतायें हाल हम अपने बयान में ।
बढती रही है युं तो महोबत की आरजु,
आके बसा है चाहका अरमान ध्यान में ।
जीने लगे हैं आजकल यादों के आसरे,
मिलता है कम करार भी बेचैन जान में ।
शोखी मचल रही है कुछ उनकी निगाह की,
रख्खा है तीर उसने जो अपनी कमान में ।
मासूम निगाहे शोख से बचते रहे मगर,
काफीर का फत्वा लग गया आकर इमान में ।
मासूम मोडासवी
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