छंद: भुजंगप्रयात
भजै सिद्ध भव्या नितं मातकाळी
- सिद्ध चारण
छुटा कंध केशं धरी मुंडमाला
मरोडी भृकूटी झरे नैत्र ज्वाला
पुरा दैत्य दल्लं पछाडै कराळी
भजै सिद्ध भव्या नितं मातकाळी
हले चौद व्रेमंड ज्यारे तु चाले
तने शोभतुं रक्तबिंदू कपाले
भवा क्रोध वाळी दयाळी भुजाळी
भजै सिद्ध भव्या नितं मातकाळी
तु ही कामदा ब्रह्मरुपं शिवानी
तु ही काळरात्री कुमारी भवानी
तु ही भैरवी भ्रामरी मा भजाळी
भजै सिद्ध भव्या नितं मातकाळी
तु ही शारदा आरदा कर्ण धरजे
तु ही काळ रुपे अधर्मीने हरजे
तु ही चंडिका रूप रौद्रं रसाळी
भजै सिद्ध भव्या नितं मातकाळी
हनुमान जी रो छंद
छंद रो प्रकार:- भुजंगप्रयात
नमुं वीर हयग्रीव रुद्रं शिवाये
प्रबळ शक्तिशाळी गदा कर धराये
रसाधर गदाधर कलाधर युवाये
धराधर दिवाकर सदा दुख हराये
अजर तुं अमर तुं अनंघाय स्वामी
हठीलाय हनुमान दैताण डामी
हरो हर बला त्वं हरो सर्व खामी
धरी ध्यान छोरु चरण निज नमामी
तु ही भ्रात भगनी तु ही तात माता
हरं रावणा सैन्य वीरं विधाता
जलावीय लंका प्रबळ शक्तिदाता
भगत जानकीनाथ सू वेद ज्ञाता
कपिल नाम लेता सभे भूत भागे
हरे मृत्यु चिंता रही काळ आगे
करे याद जाधव तने युद्ध त्रागे
समीपे रहीजो सदा सिद्ध मागे
सिद्ध चारण :-
महादेव रो छंद
छंद रो प्रकार :- रोळा छंद
जयति जयति हरदेव मुंडधारं भूतायं
जयति जलंधर काळ जंघमायं ज्वालायं
जयति लयानाशाय प्रलयकारं देवायं
जयति शिवं शम्भुम् शंकरा प्राण पुरायं
तुं धरणी आकाश आभ मा तुं ज बिराजे
नारायण प्रिय देव देवधर प्रणमुं आजे
भाले तिलक त्रिनेत्र हाथ में डमरुं छाजे
नाचे तांडव नाथ डाक डमरुं डम बाजे
तुं दिन तुं ही रात मात तुम तात हमारे
तुं ही घोर अघोर आपदा संकट हारे
तुं तारक हरनार दानवा दैत्यों मारे
तुं दाता बलराय आवियो तोड़े द्वारे
देव बड़ो भालाय भैरवा भूत भवाये
देवाधी देवाय अंग पर भषम रमाये
निज जोड़े कर सिद्ध गोप गोपाल तराये
नमन महाकालाय रुंडमाला धाराये
- सिद्ध चारण :-
No comments:
Post a Comment