फ़ासलों से ड़र रहे थे तो फ़ासले मिले |
हरतरफ सफ़रमें गम के ही काफ़ले मिले |
ठोकरें हीं जिंदगी का नसीब हो गई,
ना कभी दुआ मिली थी ना होंसले मिले |
नींद आई ना मुजे जागा हूं में उम्रभर,
जागने के मेरे हिस्से में सिलसिले मिले |
आज ख़्वाब में वो आये तो रोने ही लगे,
फूटकर बहोत रोये थे फ़िर गले मिले |
आग कितनी होगी नफरत की उन के दिल में भी,
ख़्वाब भी यहाँ तो बेचारे सब जले मिले |
रोशनी है सिर्फ़ माँ बाप के ही कदमों में,
बाकी सब उजाले तो मुजको धुंधले मिले |
ये रुकी सी जिंदगी दोस्तोसेे चली 'कमल',
साथ ले के चले है कुछ सगे भले मिले |
कमल पालनपुरी
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