-------------------------------
याद तारी आवता तो, दर्द पण गभराय छे
यादना आ फूल सूखा, क्यां हवे करमाय छे
-----------------------------------
प्रेम सागरनी लहेरे, लागनी नी नाव छे,
मन दिवाडांडीए मारुं,आ हदय भरमाय छे.
-----------------------------------
आ हदय पण जो करावे, तायफा केवा हवे,
ज्यां हवे रहेता हदयमा, प्रेम पण शरमाय छे.
-----------------------------------
शांत हदये हुं सुनामी, साचवीने बेठो छुं
ज्या मळे एकांत तो आ, लागनी ठलवाय छे
-----------------------------------
हुं लखुं छुं लागनी आ, आपवीतीनी अही
भाव "सर्जक"आ गजलना, क्या तने समजाय छे
------------------------------
-गौतम परमार"सर्जक"
--(मोरबी जिल्ला साहित्य वर्तुल)
No comments:
Post a Comment