Tuesday, 11 April 2017

ગઝલ

हमें जबसे बनाया है दीवाना तेरा क्या कहेना,
जबां पे सबकी आया है तराना तेरा क्या कहेना।

बडी मस्ती का आलम हर इक हस्ती पे तारी है,
बडा मस्ती में डुबा है जमाना तेरा क्या कहेना।

जगाके आस हर दिलमें मचाइ धुम महेफील में ,
हर इक मनमें नया अरमां जगाना तेरा क्या कहेना।

बदलता जा रहा है सब जिंदगीका  रंग जीने का,
तेरे साये में पलता है फसाना तेरा क्या कहेना।

मेरी नजरों ने ये  हंसते नजारे आज देखे है,
दीवानो को इशारों में नचाना तेरा क्या कहेना।

निगाहों का चला जादु हुवे मासूम बे काबु,
बडा कातिल रहा जालिम निशाना तेरा क्या कहेना।

               मासूम मोडासवी

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