Tuesday, 26 September 2017

ગઝલ

नजर को नजर का इशारा  मीला है,
बडा आज दिलको सहारा मीला है ।

इजन गुफतगु का दीया उसने हंसके,
हमें दिलनशीं वो सहारा मीला है ।

बहोत जीनकी फुरकत ने तडपाया था,
वोही आज बनके हमारा मीला है।

निगाहों से पयगाम पाया खुशी का,
नया मुजको रंगीन नजारा मीला है।

बचालाये तुफानी धारे से खुदको,
लहेरों से लड़के किनारा मीला  है।

जुल्मत छुपाने चली हमको मासूम,
मुकदर से रोशन किनारा मीला है

                  मासूम मोडासवी

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